Δευτέρα 8 Αυγούστου 2022

I am deeply touched by the translation of my poem entitled Ageless widom in the excellent Hindi language. I would like to thank you from the bottom of my heart for the excellent friend and teacher Prakashchandra Jha and also my friend Dr.P.C.Jha.Namsai.Arunachal Pradesh for the translation. Honestly, it is one of the best gifts given to me by the chosen ones friendly Indians True value



ΑΓΕΡΑΣΤΗ ΣΟΦΙΑ
Ζωή ακατέργαστη πέτρα
σε καιρούς φθαρμένους
σε κομμάτια γης
στο επίμονο βλέμμα
του Ήλιου σμιλεμένη

Της έδωσα ονόματα
στην ομορφιά των κρίνων
στο χρώμα της φωτιάς
μυριάδες σώματα αγκαλιασμένα
στου Ήλιου τα δάκρυα στα
σπλάχνα της γης φυλαγμένα

Και ο άνθρωπος μεγάλωσε
κάρπισε
ντύθηκε με σχέδια και χρώματα
έγινε αγάπη ,έγινε αφή
γέννησε ζωή ,ταξίδεψε
στου χρόνου τα χνάρια

Φύτεψα νεφέλες ..θεές
με ακίνητα μάτια
τραγούδησα τον έρωτα
με λέξεις προσφορά
σε χρυσές αναλαμπές

Με τα παραμύθια της γιαγιάς
τα πουλιά του κόσμου
ακολούθησα
σύνορα πέρασα μυθικά
την εικόνα του κόσμου
με αγέραστη σοφία έκτισα

 

Ageless wisdom

Life ragstone
at times worn
in plots
the persistent gaze
the Sun sculptured

I gave names
the beauty of the lilies
the color of the fire
myriad bodies embraced
the suns tears in
bowels of the earth kept

And the man grew
bear fruit
dressed up with designs and colors
was love, it was touch
gave birth to life, he traveled
In times footsteps

I planted clouds goddesses ..
with immovable eyes
I sang love
words offer
on golden glimpses

With tales of her grandmother
birds of the world
followed
border spent mythical
image of the world
I built with ageless wisdom

 


 

 Two different brilliant eminent figure literature
on Social Media,One from Greece other from
India. Kapardeli Eftichia of Patras Greece and
Sudhansu Parida from Denkanal,Orissa, India.
Their poems 1) Ageless Wisdom 2) A Road
Side Tree are being translated to language
hindi on their kind consent and generous
approval please.Wish them all the best.Thank
1) शीर्षक : शास्वत बुद्धिमत्ता।
मूल यूनानी कवयित्री : कपारडेली इफटिचिया।
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जीवन चिथडे़ पत्थर,
कभी कभी धिसा पिटा क्लांत
भूखंडों में
अनवरत टकटकी लगाकर देखना,
सबीता को गढ़ा गया मूर्ति सदृश्य।
मैने नाम दिये,
सुंदरता कुमुदिनियों की
रंग अग्नि के
असंख्य खंडें आंलगिंत किए गये
सबीता की आँसूऐं,
दयाभाव में धरा के रखे गये।
और आदमी बढ़ा,
जन्म देता है फल
अच्छे कपडे पहना रूपरेखा और रंगों के साथ
था प्रित प्रेम यह स्पर्श था
पैदा किया जीवन को,उसने यात्रा किया
समय पर पैरों की आहट।
मैंने बोया लगाया बादलों की देवियां
अचल अटल आँखों के साथ
मैंने गाये प्रेम,
शब्दें भेट करते हैं
सुनहले झलक झांकियों पर।
अपनी दादी की कहानियों के साथ
दुनियां के परिंदे
अनुशरण किया
सरहद बिताये पौराणिक गाथाओं को
छवि दुनियां की
मैंने बनाए शास्वत बुद्धिमानी।
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2)शीर्षक : सड़क के किनारे का पेड़।
मूल आंग्ल कवि : सुधांशु पारिदा।
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मैं महसूस करता हूँ
ईसा मसीह की तरह
कांटी ठ़ोका गया
और मेरे खून निकते बहते हैं।
मुझे फांसा और हथौड़े से मारा गया
मुझे भेदा और डराया गया
मुझे नकारा गया मेरी जिंदगी।
मेरी साखाओं के टुकड़े किए गए
मैं काटा गया
मेरे बढ़ने से पहले।
मेरे चेहरे बिगाड़े गये,
तस्विरें, इस्तहार,पत्ते
संचयन पटें
मेरे शरीर के चारो ओर सब तरफ
जकड़ लेता है मुझे
सिकंजे की तरह।
मुझे इनकार कर दिया स्वांस लेना
मेरे दम घोटे गये
धूल और धूएं से।
कोई परिंदे नहीं चहचहाते हैं
कोई आदमी नहीं बैठता है
मेरी छाया के निचे,
केवल कभी कभी
एक भटका हुआ कुत्ता आता है
और पिसाब कर जाता है।
एक आदमी की तरफ
मैं महसूस प्रेम कर और रो सका
यद्यपि कि एक पेड़
सड़क किनारे का एक पेड़।
वे बहाते हैं खून लाल,
मैं बहाती हूँ सफेद
मैं सपने देखती हूँ
कितने बार
एक दिन मैं फूलूंगी बढ़ूंगी
झिलमिलाती हरियाली के साथ।
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Translator :
Dr.P.C.Jha.Namsai.Arunachal Pradesh.India.
8th Aug.22.
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